Saturday, June 25, 2022

मां

मां, आप याद आती हो..
जब भी खुशी का मौका आता है तो आप याद आती हो
जब भी दुःखी होता हूं तो आप याद आती हो।।

मां, आपको पता है
जब भी मेरी सैलरी आती है ना तो पहला ख्याल आपका ही आता है।
नया कपड़ा पहनता हूं तो शीशे के सामने खड़े होकर आपसे ही पूछता हूं ।

और मां..
जब गाड़ी तेज चलाता हूं ना या फिर देर तक सोता रहता हूं
तो आपके हाथ मेरे कंधो पर महसूस होता है।
जब जिम्मेदारियों से उकता जाता हूं तो भी
आप ही मुझे गले लगाकर कहती हो कि बेटा..
अभी सफर लंबा है और रुकना मना है।

पर मां,
अब मैं ठहर जाना चाहता हूं
आपके पास आना चाहता हूं
आपसे ढेर सारी अधूरी बातें करना चाहता हूं
आपको गुदगुदी करना चाहता हूं
आपसे अपनी प्रेमिका के बारे में बताना चाहता हूं
आपसे कहना चाहता हूं कि मुझे कपड़े धोना बिल्कुल पसंद नहीं है
नहीं पसंद है मुझे ये भागमभाग वाली जिंदगी
नहीं पसंद है मुझे ये ढेर सारी जिम्मेदारियों का बोझ

पर क्या ,
मैं ये कह सकता हूं?
शायद नहीं।। सत्य टाला नहीं जा सकता
आप नहीं हो मेरे पास
पता नहीं मै कितना अच्छा बेटा बन पाया।
पर इतना पता है कि आप एक अच्छी मां जरूर हो
मेरी हर खुशी में आप शरीक हो।
मेरे हर गम में आप साथ।
अच्छा चलो अब मुझे कपड़े धोने है।
मुझे तैयार होना है ऑफिस जाने के लिए
मुझे तैयार होना है अपनी आगे की जिंदगी के लिए।।
आप जहां भी हो, खुश रहो और मुझे प्यार देते रहो ।।
हां, एक बात और..
मैं आपसे बेइंतिहा मुहब्बत करता हूं। 

Friday, August 17, 2018

कौन हूँ मैं

                                                                        (1)

जीवन का आगाज हो तुम ,
या फिर हो मौत की अभिलाषा |
सत्य का आह्वान हो या
हो दौलत की व्यर्थ पिपासा ||

अपार प्रेम का सागर हो तुम ,
या फिर हो नफरत की दीवारें |
सफलता की रणभेरी हो या
हो पराजय की निर्मम लहरें ||

कौन हो तुम ?
बताओगी ..

क्यों रहती हो साथ तुम मेरे, मुझको ज़रा समझाओगी
बस एक निवेदन तुमसे है कि
हो जाओ ओझल नजरों से तुम
नहीं चाहिए साथ तुम्हारा
बस एक निवेदन तुमसे है
                     
                                                                  (2)







याद नहीं क्या वो पल तुमको?
जब लिया शपथ था हम दोनों ने

रहूंगी परछाई बन तेरी , यही कहा था मैंने उस दिन
नहीं जानती असली दुनिया, चले गए थे हँसते-हँसते

तकलीफ हुई थी उस दिन मुझको, लगा था तुम तो समझोगे
शब्दों की इस दुनिया में, भावनाएँ तुम पढ़ लोगे
अफ़सोस रहेगा जीवन भर, नहीं मैं तुमको समझा पाई

पर आज तुम शायद समझ गए हो
मेरे शब्दों के भावों को

खैर बता देती हूँ तुमको
वक़्त हूँ मैं , रहूंगी हरदम
तुम चाहो या ना चाहो
साथ चलूंगी हर सफर में तेरे
सही करोगे, गलत करोगे
हर जवाब तुमको मैं दूंगी 


कुछ भी कह लो, कुछ भी सोचो
मैं नहीं डिगने वाली
लाख कहो की दूर हो जाओ
फिर भी ना मैं जाने वाली

बस एक निवेदन है तुमसे
अगले जनम समझ जाना

कौन हूँ मैं और क्यूँ मैं हूँ